बचपन में फ‍िट रहेगा फेफड़ा तो बुढ़ापे में कम फूलेगा दम

बचपन में फ‍िट रहेगा फेफड़ा तो बुढ़ापे में कम फूलेगा दम

सेहतराग टीम

ये एक सामान्‍य जानकारी है कि फेफड़ा यानी लंग्‍स इंसानी शरीर के निर्माण में सबसे अंत में विकसित होने वाला अंग है। जब बच्‍चा मां की कोख में होता है तो भ्रूण से इंसानी शरीर बनने की प्रक्रिया में सबसे पहले हृदय और सबसे अंत में फेफड़े का विकास होता है। समय पूर्व पैदा होने वाले बच्‍चों में फेफड़े सही तरीके से नहीं विकसित होते हैं इसलिए उन्‍हें जन्‍म के बाद भी कई कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं।

नया अध्‍ययन

अब एक नए अध्‍ययन से पता चला है कि जिन बच्‍चों में शिशु और किशोरावस्‍था में फेफड़े स्‍वस्‍थ रहते हैं उनके फेफड़े युवावस्‍था और उसके बाद बढ़ती उम्र में भी स्‍वस्‍थ रहने की ज्‍यादा संभावना रहती है। यानी इन बच्‍चों को बड़ी उम्र में सांस संबंधी रोगों का सामना कम करना पड़ता है। इस अध्‍ययन के नतीजे यूरोपियन रेस्पिरेटरी पत्रिका में छपे हैं। इस अध्‍ययन के शोधकर्ताओं ने पाया है कि बुढ़ापे में होने वाली बीमारियों के कारकों में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमनरी बीमारी (सीओपीडी) जैसी दीर्घकालिक फेफड़े की बीमारी सबसे प्रमुख कारक है।

कितनेे बच्‍चों पर अध्‍ययन

इन शोधकर्ताओं ने पाया है कि बचपन और किशोरावस्था में स्वस्थ रहने वाले बच्चों के फेफड़े वयस्क होने पर भी स्वस्थ रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि किशोरावस्था के शुरुआती दौर में जिन लोगों के फेफड़े सही तरीके से काम करते हैं उनमें बाद में लंबे समय तक चलने वाली फेफड़ों की बीमारी होने का खतरा कम होता है। इस अध्ययन में इस बात के भी सबूत हैं कि बच्चों को स्वस्थ रखना भविष्य में उन्हें फेफड़े की बीमारी से बचाने में मददगार हो सकता है। इसमें कुल 2,406 बच्चों का अध्ययन किया गया।

क्‍या कहते हैं शोधकर्ता

न्यूजीलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ ओटैगो के बॉब हैनकॉक्स ने कहा, ‘हम शारीरिक गतिविधि, फिटनेस और फेफड़ों की वृद्धि के बीच संबंधों के बारे में बहुत कम जानते हैं। यह शोध का बेहद कठिन विषय है क्योंकि बच्चों के स्वास्थ्य पर कई वर्षों तक नजर रखना बहुत ही महंगी और वक्त लेने वाली प्रक्रिया है।’ 

हैनकॉक्स ने कहा, ‘यह अध्ययन दिखाता है कि जो बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं उनके फेफड़े युवावस्था में भी अच्छे रहते हैं। हमारा मानना है कि इससे उनमें उम्र ढलने पर भी दीर्घकालीन फेफड़े की बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है।’

 

की वर्ड्स: बच्‍चे, स्‍वस्‍थ, फेफड़े, अध्‍ययन, सीओपीडी, बीमारी

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